समाज की सेवा ना दिखावे के लिए होनी चाहिए ना नाम कमाने के लिए

समाज की सेवा ना दिखावे के लिए होनी चाहिए ना नाम कमाने के लिए तभी समाज का खुद का उद्धार संभव हो सकता है नि:स्वार्थ भाव से सेवा की जाएऔर सोशल नेटवर्को पर समाज सेवा का दिखावा ना किया जाय
आज के समय को कोई दूसरे काल नाम ना देकर फेसबुक राजनीति काल कर देना चाहिए क्योंकि पिछले कुछ समय से सोशल फेसबुक व्हाट्सएप इंस्टाग्राम जैसे नेटवर्को की वजह से जहां इंसान की समझ बढ़ी है जल्द से जल्द खबर आम आदमी तक पहुंचने का माध्यम सोशल नेटवर्क बने हैं वही यही नेटवर्क कुछ लोगों के लिए व्यक्तिगत उपलब्धियों के लिए भी  खुद को फेमस करने के लिए भी सोशल नेटवर्क में से एक है फेसबुक  
 यह सोशल प्लेटफार्म है जहां पर सूचना के साथ-साथ एक दूसरे से  पोस्टों पर टिप्पणी का आदान-प्रदान भी खूब होता है  एक दूसरे को नीचा दिखाने की होड़ और अपने आप को साबित करने के लिए कुछ लोगों ने इस सोशल प्लेटफॉर्म का जमकर इस्तेमाल किया है हर समाज के हर वर्ग में फेसबुक के माध्यम से बहुत से युवा नेता भी उभरकर आए हैं जिन्हें की राजनीति से कुछ भी लेना देना नहीं है मतलब लेना देना तो है पर बहुत ही कम समझ है सिर्फ अपना नाम चमकाने की होड़ है जो कि समाज के लिए सिवाय नुकसान के और किसी काम नहीं आ रही है अपने आपको समाज का युवा नेता कहने वाले ही सामाजिक जिम्मेदारी से भाग रहे हैं और तो और  फेसबुक जैसे सोशल नेटवर्को पर अगर उनकी पोस्ट पढ़ी जाए तो उन पोस्टों का कोई भी औचित्य नहीं रहता है ना ही वह किसी युवा को प्रेरित कर  पाती है आगे बढ़ने के लिए अज्ञानता से भरी हुई बस खुद को साबित करने के लिए ही पोस्ट डालते हैं समाज के युवा नेता आने वाली पीढ़ी के लिए मार्गदर्शीकता नहीं कर रहे हैं  युवा पीढ़ी भी सामाजिक सेवा भाव को समझ नहीं रही है समाज में अगर अपनी उपस्थिति दर्ज करवानी ही है तो मिलकर निजी जीवन से लेकर सोशल नेटवर्को तक हमें युवाओं को प्रेरित करने का काम करना होगा दिखावे की सेवा नहीं समाज में निस्वार्थ भाव से सेवा करो समाज में अपनी उपस्थिति अपने अच्छे कामों से  अच्छी पोस्टों से युवाओं को बढ़ाने को लेकर हो
महेश राठौर सोनू

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