मानव बहुत है लेकिन,जीवन एक
आशा भी बहुत है अब, ग़म है अनेक,इंसान ने क्या दिया जो,तरसा आंखे,दिल में थी जो कितने जो,खुली बाते
राग गूंजती है सासो, वीणा ने लय,
अनुपम संगीत है नाम, स्वरों परों जय,छल होता है यहां कहीं,धोखा झोका,कौन क्या जान पहचान,दुनिया रोका
यहां है सबे बेगाने,कौनो अपना,
नहीं हमारा कोई जो,क्या है सपना, ग़मो भला दूजो का हो,नहीं पहचान,सबके दिल में छुपे है, कहीं अरमान
यह जीवन ही यूं है जो,होता है सब,कभी नचाता है तो भी,रुलाता कब,कौनो क्या जाने क्या हो,इस जीवन में,सपना आशा रहता है, बसता मन में
धन्यवाद
मानव दे
बोंगाईगांव, असम
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कविता