मेरा होंठ और भी लाल हो गया
चेहरा और ज्यादा ही खिल गया
मेरी रूठी मुस्कान भी होंठों पर छा गई
आईने में खुद को ही देखकर शर्म आने लगी है
क्या कहूं , कैसे कहूं ये जिंदगी
और भी प्यारी लगने लगी है
पहले दिन कटता था लेकिन अब जीने लगा हूं
जी करता है मौत से बहुत बड़ी दुश्मनी ले लूं
कभी करीब ना आए ये मेरे इससे झगड़ा कर लूं
ये ठहरी हवा भी मुझको सुहानी लगने लगी
कुछ और नहीं सिर्फ तुम्हे पाने के लिए दुआ करूं
जब साथ तुम्हारा हो ये पल बस वहीं ठहर जाए
हमारी जिंदगी में कभी कोई गम न करीब आए
तुम मुझसे बहुत दूर जरूर हो लेकिन
मेरी धड़कन,रक्त, सांस में प्राण बनकर सिर्फ तुम हो
बिना मकसद की जिंदगी की तुम मकसद बन गई हो
तुम्हारी खुशी के लिए अपना हर खुशी गिरवीं रख दूं
हाथों की लकीर में अगर तुम ना हो तो
खुद से ही हाथों में लेकर खींच लूं
तुम्हारा हर आंसू, गम,तकलीफें मैं मांग लूं
मुझसे पहले अगर तुम्हारी मौत आए तो
तुम्हारे बदले अपनी प्राण रुखसत कर दूं
शब्दों में बता ना पाऊंगा की
तुम्हे कितना इश्क करता हूं
आंखे बंद करने पर
सिर्फ तुम्हारी सूरत नजर आती है
अगर ये आंख खोली तो
सिर्फ तुम्हे ही देखना चाहती है
तुम्हे चोट भी लगे तो मेरी आंखो से आंसू बहती है
पढ़ सकती हो तो मेरी आंखे पढ़ लो
अगर नही तो आकर मेरी धड़कन सुन लो
फिर तुम्हे पता चल जाए की कितना इश्क करता हूं
और तुमसे मिलने के लिए दिल कितना बैचेन है
मेरी मंजिल और आखरी ख्वाब में सिर्फ तुम बसी हो
आ जाओ जान तुम्हारे लिए अपनी जान रख दूं
हर किसी के चहेरे में तुम्हारा ही चेहरा दिखता है
तुम ही ना हो इसलिए सबको रोक लेता हूं
आती आहटें तुम्हारी आने जैसी लगती है
इसलिए झट से ही मुड़कर देखने लगता हूं
कहीं भी जाऊं तो सिर्फ तुम्हे ही महसूस करता हूं
लगता है अब तुम्हारे बिन ना जी पाएंगे
अगर रहना पड़ गया तो जीते जी मर जायेंगे।
©रुपक
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कविता