Perfection is comes by dedication not by duty

 Kamlesh Kumar Gupta: एकता जी के द्वारा लिखी रचना समसामयिक घटनाओं पर केन्द्रित है समाज में आज कुछ परिवर्तन हो रहा पत्रकारिता जैसे संघर्ष भरे क्षेत्र में महिलाओं का होना अप्रत्याशित है।  न्यायालय न्याय अवश्य करती बशर्ते की न्याय पाने के लिये हमें न्यायिक व्यवस्था पर विश्वास करना होगा ।
भ्रूण हत्या सबसे बड़ा अपराध है जो समाज के लिए शर्मनाक है।आजकल भ्रूण हत्या को रोकने के लिए बहुत से सामाजिक संगठन जागरुकता अभियान चला रहे हैं यहाँ तक सरकार भ्रूण हत्या को रोकने के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान चला रही है
समाज में सर्वांगीण विकास के लिए स्त्री श्रमबल अपर्याप्त है 
जिसे पुरा करने की आवश्यकता है 
क्रमश:
[13/02, 23:24] Kamlesh Kumar Gupta: हीरल जी के द्वारा लिखा गया लेख वर्तमान परिदृश्य को रेखांकित करता है वर्तमान में नारी आत्मनिर्भर भी है और समाज में अन्य महिलाओं को भी ससक्त बनाने के लिये स्वयं सहायता समूह संचालित कर रही जिसका एक उदाहरण बिहार में जीविका संगठन जो अब बिहार सरकार के द्वारा कार्यों के उत्कृष्टता एवं महिला सशक्तिकरण को देखते हुए अपना लिया गया है।लेख में 
महिलाओ को गाय भैंस की तरह खूँटे से बाँधकर रखना ठोस लेख को कमजोर करती है।ऐसा नही पुरुष प्रधान समाज तो रहा है लेकिन उसी पुरुष प्रधान समाज से आगे बढ़कर स्त्री ने स्वयं को परिभाषित कर एक उदाहरण प्रस्तुत किया जिससे हमें सिखने की आवश्यकता है।
[14/02, 01:06] Kamlesh Kumar Gupta: लीना थावानी जी आपने अपने वक्तव्य में सकारात्मक अभिव्यक्ति व्यक्त की कल और आज(इतिहास)में परिवर्तन हुआ भी और हो भी रहा है आपने स्त्री और पुरुष को समतुल्य मानते हुए मर्यादा के साथ- साथ परस्परता का बोध कराया पौराणिक कथाओं में भी स्त्री की गौरवगाथा देखने एवं सुनने को मिलती सभी ने अपने मर्यादाओं का पालन करते हुए कर्तव्यों का निर्वहन किया है।
आपका वक्तव्य एक संदेश की तरह आत्मसात करने योग्य है।
क्रमश:
[14/02, 01:30] Kamlesh Kumar Gupta: इस विशेष परिचर्चा में एक व्युत्क्रमानुपाती चर्चा निकल कर सामने आती है की पुरुष के प्रति स्त्री की मानसिकता 
पुरुष के पुरुषार्थ को भी ललकारा गया जो कमोबेश स्वभाविक है तभी एक चर्चा परिचर्चा के आयामों पुर्ण कर एक नयी सार्थक चर्चा को जन्म देती। मानसिकता का अर्थ इस किसी के मन में स्त्री के प्रति क्या भावना है।हमारे समाज में एक वैचारिक मतभेद भी है हर मामले में पुरुष हीं जिम्मेवार नही होता अपवाद स्वरूप स्त्री भी स्त्री से शत्रुता के भावना से किसी हृदय विदारक घटना को अंजाम दे जाती हैं। अधिकार के लड़ाई में अधिकतर यह देखा गया है चाहे वह स्त्री हो या पुरुष अपना आधिपत्य स्थापित करने के लिए दुर्व्यवहार करता है जिससे दुर्व्यवस्था उत्पन्न होती । समाज सर्वांगीण एवं सम्यक विकास के लिये एक दुसरे को एक साथ कदम से कदम मिलाकर चलना चाहिए।न्याय व्यवस्था भी अन्ततः यही कहती है घरेलू हिंसा की शिकार व्यक्ति के लिये भी आपसी सुलह ही अन्तिम एवं उचित माना गया है।
कमलेश कुमार गुप्ता निराला
[14/02, 02:03] Kamlesh Kumar Gupta: जैसा की लीना जी ने कहा है अपने आप में perfect कोई नही होता हम सभी को एक दुसरे के साथ मिलकर चलना चाहिए तभी हम परिवार के आयामों को पुरा कर पायेंगे
अर्थात 
"Perfection is comes by dedication not by duty"

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