के कामराज
जनता के दिलो पर किया राज
लोकप्रिय नेता और जन जन की आवाज
हमेशा किए जनहित के काज़
वो हैं गांधीवादी नेता के कामराज
विरधुनगर (मद्रास) उनका जन्मस्थान
पिता कुमारास्वामी की योग्य संतान
बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि और ज्ञानवान
सादगी और ईमानदारी उनके जीवन की पहचान
बचपन से ही खोया पिता का साया
चाचा ने प्रदान की स्नेह की छत्रछाया
विरधुनगर स्कूल से की पढ़ाई
पिता के असामयिक निधन से बीच मे ही छूटी पढ़ाई
चाचा की दुकान षर काम किया
घर का खर्चा चलाने हेतु सहयोग किया
सौलह वर्ष की आयु मे राजनीति मे रुचि पाई
कांग्रेस पार्टी मे सदस्यता पाई
पार्टी मे सक्रिय भूमिका निभाई
स्वतंत्रता आंदोलन के बने सिपाही
देश की आजादी की लड़ी लड़ाई
असहयोग आंदोलन मे भाग लिया
फिरंगी सरकार का डटकर विरोध किया
सरकार ने उन्हे प्रताड़ित किया
असंख्य कार्यकर्ताओं के साथ कैद किया
मद्रास प्रैसिडैंसी से विधायक रहे
सलूर विधान सभा सीट से विजय पाई
भारत छोड़ो आंदोलन मे सक्रिय भूमिका निभाई
अंग्रेज सरकार के विरुद्ध आवाज उठाई
स्वतंत्रता आंदोलन मे अपनी आहुति पाई
सरकार ने उन्हे गिरफ्तार किया
जेल से नगर परिषद का चुनाव लड़ा
और विजय पाई
चुनाव जीत कर अपनी लोकप्रियता को सिद्ध किया
मद्रास कांग्रेस के महासचिव रहे
बाद मे मद्रास कांग्रेस के बने प्रधान
नेहरू जी को उन का काम भाया
उन्हे राजनीति के राष्ट्रीय पटल पर लाया
उन्हे कांग्रेस कार्यसमिति का सदस्य बनाया
संविधान सभा के सदस्य रहे
सदस्य के रूप मे अहम योगदान दिया
प्रथम लोकसभा चुनाव लड़ा और श्री विल्लीपुतर संसदीय क्षेत्र से विजय पाई
1954 मे वो मद्रास के दूसरे मुख्यमंत्री बने
ईमानदारी से दायित्व का निर्बहन किया
जनहित की योजनाओ को लागू किया
स्वयं अशिक्षित होते हुए भी शिक्षा क्षेत्र मे काम किया
शिक्षा का व्यापक प्रचार-प्रसार किया
साक्षरता की दर को बढ़ाया
सात प्रतिशत दर को 37 प्रतिशत पर पहुंचाया
अनेक शिक्षण संस्थानो को स्थापित किया
कृषि के क्षेत्र मे उल्लेखनीय कार्य किया
कई सिंचाई परियोजना का श्रीगणेश किया
राज्य के उद्योग जगत को विकसित किया
कल कारखानो का निर्माण किया
नेहरू जी के निधन के बाद कांग्रेस पार्टी के बने प्रधान
पार्टी के उत्थान हेतु लाया कग प्लान
कुछ केंद्रीय मंत्रिमंडल और मुख्यमंत्रियों से त्यागपत्र लिया
पार्टी का पुनर्गठन किया
नेहरू जी के निधन के बाद शास्त्री जी को प्रधानमंत्री बनवाया
स्वयं प्रधानमंत्री के पद को ठुकराया
शास्त्री जी की मृत्यु के बाद इंदिरा जी को देश का प्रधानमंत्री बनाया
1969 के चुनाव मे नगरकोइल संसदीय क्षेत्र से लोकसभा चुनाव जीता
इंदिरा जी से नीतिगत मतभेद हुआ
राष्ट्रपति चुनाव मे इंदिरा जी ने कांग्रेस प्रत्याशी नीलम संजीवा रेड्डी का विरोध किया
निर्दलीय उम्मीदवार वी वी गिरी का समर्थन किया
कांग्रेस उम्मीदवार की हार हुई
पार्टी मे रार हुई,तकरार हुई
कांग्रेस पार्टी दोफाड़ हुई
कांग्रेस (ओ) की स्थापना हुई
कामराज ने संगठन की संभाली कमान
कांग्रेस (ओ) के बने प्रधान
1971 के लोकसभा चुनाव मे नगरकोइल संसदीय क्षेत्र से विजय पाई
जनता मे अपनी पैठ बनाई
भारत सरकार ने उन्हे मरणोपरांत सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न पुरस्कार दिया
उनकी सेवाओं का सिला दिया
काॅपर बांड पुरस्कार प्राप्त किया
सरकार ने इन के सम्मान मे डाक टिकट जारी किया
हे राजनीति के पुरोधा तुम्हे प्रणाम
देश हित मे आए काम
अशोक शर्मा वशिष्ट
छायाचित्र सौजन्य इन्टरनेट
Tags:
काव्यात्मक आलेख