आज भारत के अज़ीम शायर और गजलों के शहंशाह मिर्ज़ा गालिब के जन्मदिन पर समस्त साहित्य प्रेमियों को हार्दिक बधाई और इस अवसर पर उन का काव्यात्मक परिचय प्रस्तुत है
मिर्ज़ा गालिब
महान शायर और गज़लों के सरताज
आज भी करोड़ों लोगों के दिलों पर करते हैं राज
उनकी शायरी पर आज भी सब को है नाज़
उन की लेखनी का शानदार था अंदाज
वो हैं विश्व प्रसिद्ध शायर जिनके मुरीद आज भी करते हैं उन्हे याद
आगरा (काला महल) है इन का जन्मस्थान
पिता अब्दुल्लाह बेग और माता इज्जत उन निसा बेगम की काबिल संतान
मिर्ज़ा असदुल्लाह खान उन का वास्तविक नाम
गालिब , असद के उपनाम से लिखा अपना कलाम
बचपन से उठ गया पिता का साया
चाचा मिर्ज़ा नसरूल्ला बेग ने प्रदान की स्नेह और ममत्व की छाया
चाचा की मृत्यु के पश्चात ननिहाल बालों ने पालन पोषण किया
अपनी माता से हासिल किया धार्मिक ज्ञान
फारसी के विद्वान मौहम्मद मोव्ज्जम से प्राप्त किया फारसी का ज्ञान
11 साल की आयु मे शायरी करना शुरू किया
अपनी साहित्यिक प्रतिभा का परिचय दिया
अपनी शायरी और गज़लों से आम जनता को मंत्रमुग्ध किया
नातिया कलाम की विधा को लोकप्रिय किया
अपनी शायरी और गज़लों मे सरल और सहज भाषा का प्रयोग किया
जीवन भर संघर्ष किया सिद्धांतों पर कभी समझौता नही किया
शायरी मे किसी के दखल को सहन नही किया
उर्दू गद्य पर भी कमाल का लेखन किया
उर्दू के जनक होने का मान प्राप्त किया
मुगल बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र द्वितीय को अपनी शायरी से प्रभावित किया
बादशाह ने उन्हे अपने बेटे का उस्ताद नियुक्त किया
शाही इतिहासकार के पद पर नियुक्त किया
इन की शायरी से प्रसन्न होकर दबीर उल मुल्क, नज्म उल दौला और मिर्ज़ा नौशाद की उपाधि से सम्मानित किया
जीवन मे शराब और जुए का खुलकर प्रयोग किया
शराब पाने के लिए हर तरीका इस्तेमाल किया
एक अंग्रेज अधिकारी के सामने अपने आप को आधा मुसलमान कबूल किया
जीवन मे ग्यारह हजार से अधिक फारसी कविताओ का लेखन किया
1700 से अधिक उर्दू कविताओ को रचित किया
पाठकों को उच्च स्तरीय साहित्य प्रदान किया
धर्म और जातिवाद से ऊपर उठ कर मानवीय पक्ष को उजागर किया
हे गज़लों के शहंशाह आप को शत शत प्रणाम
आपके खूबसूरत कलाम को सलाम
साहित्य के क्षेत्र मे आपका सराहनीय योगदान
आज भी साहित्यिक क्षेत्र मे सम्मानित है आपका नाम
अशोक शर्मा वशिष्ठ
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कविता