युवा और खेल का महत्व

युवा और खेल का महत्व 

भारत एक ऐसा देश है जिसमें निरंतर युवा खेल की ओर अग्रसर रहे हैं , परंतु उचित व्यवस्थाएं ना होने के कारण हमेशा गोल्ड हमारे हाथ से जाता रहा है ! हम अपने बच्चों को जितना पढ़ाई लिखाई के लिए प्रेरित करते हैं, उतना ही खेल के प्रति भी उनकी रुचि को समझ कर उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए । क्योंकि आज की युवा पीढ़ी को हम हमारे भारत के सुनहरे भविष्य की ओर हमें अग्रसर कर सकते हैं, अक्सर देखा गया है की कठिन परिश्रम करके गोल्ड तो प्राप्त हो जाता है ,परंतु उसका परचम प्रतिष्ठा बनाए रखना हमारे बच्चों के लिए कठिन होता है, इसके कारण बच्चे अरुचि भी दिखाते हैं खेल में ।इसका एक कारण  यह है की सरकार की ओर से बच्चों को उतना कोटा खेल के लिए दिया नहीं जाता जितना की देना चाहिए। असुविधाओं के चलते कई बार उत्साहित बच्चे भी अपना मनोबल खो बैठते हैं।
                               आज हम मां बाप की भी जिम्मेदारी बनती है कि हम अपने बच्चों को यदि वे आगे बढ़ना चाहते हैं तो उनका पूरा सपोर्ट करें , उनका मनोबल बनाए रखें व यदि आपको लगता है कि आपका बच्चा डिजर्व करता है तो शिक्षित होने के नाते समय-समय पर अपने बच्चे के लिए मांग पत्र रखना  एवं उसकी क्रियाकलापों की जानकारी सरकार को भेजना आपकी जिम्मेदारी बन जाती है ताकि आपका बच्चा आगे बढ़ सके ।यदि आगे बढ़ना तो उसके लिए आपको आपके बच्चों के लिए हमेशा क्रियान्वित रहना होगा एवम उनको भी यह एहसास दिलाना होगा की क्षेत्र कोई भी हो सफल होने के लिए निरंतर अभ्यास जरूरी है और खेलों के प्रति रुचि रखना उतना ही जरूरी है जितना हम पढ़ाई लिखाई करके शिक्षा के अन्य क्षेत्रों में रखते हैं।
वैसे तो समाज में खेल के नाम पर सिर्फ क्रिकेट को ही जानते हैं और मानते हैं परंतु क्रिकेट के अलावा भी कई ऐसे खेल है, जो मानसिक और शारीरिक तौर पर चुस्त और दुरुस्त रखते हैं ऐसे में हमारी बड़ी जिम्मेदारी बन जाती है कि हम हमारी युवा पीढ़ी को उचित जानकारी के साथ हर खेल के लिए प्रोत्साहित करें ताकि वह समझ सके कि क्रिकेट के अलावा भी कई ऐसे खेल है जिनमें भागीदारी की जा सकती है । 
वैसे तो भावनात्मक रूप से जुड़ाव होने के कारण  क्रिकेट व  हॉकी की तरफ हमारे बच्चों का ध्यान बहुत ही आकर्षित होता है ! परंतु आने वाले समय में खो-खो और कबड्डी जैसे खेल भी पीछे नहीं है। कई राज्यों में इन्हें प्रमुख रूप से खेला जा रहा है और सम्मानित भी किया जाता है । ऐसे में जब ओलंपिक गेम जब खिलाए जाते हैं तो, इन्हीं में से सशक्त योद्धा के रूप में हमारे भारत की युवा पीढ़ी भी नजर आती है। आज भारत ने 7 मेडल जीतते हुए टोकियो ओलिंपिक में इतिहास रच दिया है। वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने भारत की टोकियाे ओलिंपिक में शुरुआत सिल्वर मेडल से कराई थी तो जेवलिन थ्रो ऐथलीट नीरज ने गोल्डन अंत किया। वह भारतीय ऐथलेटिक इतिहास में पहला मेडल जीतने वाले खिलाड़ी बने। यह भारत का टोकियों में 7वां मेडल भी है। मैं अपने भारत देश की युवा पीढ़ी को सलाम करती हूं निरंतर प्रगति पद पर बने रहे।

प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका)
ग्वालियर मध्य प्रदेश

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