जीवन मनुज का नीरस हो जाता जब उत्साह खत्म हो जाता


 जुनून ( उत्साह वर्धन)

जीवन मनुज का नीरस हो जाता जब उत्साह खत्म हो जाता है ।
सागर की लहरों में फंसकर कभी जहाज भी डूब ही जाता है।।

जुनून यदि पैदा नहीं किया तो क्या प्रगति तुम कर सकते हो ?
जीवन पथ पर परिक्षाओं के उत्तर क्या जीवन में कभी दे सकते हो?

 चींटी का जुनून ही किसी पर्वत के उच्च शिखर पर ले जाता है।
जो हार गया जीवन से समझो जीते जी ही वह मर जाता है ।।

सतपथ है जीवन का आधार यहां जो मनुज को उन्नत बनाता है ।
पग पग पर है जीवन के संग्राम यहां जो हमको लड़ना सिखाता है

उत्थान पतन के  संघर्षों में जीवन की पतवार जब ढीली होती है।
उत्साह तब मर जाता है और मन की बिमारी तब खड़ी होती है।।

खुद को सांचे में ढालो और खुद को तुम मन ही मन मथ डालो ।
होता है हर सपना सच तब जब तुम जीवन को जुनून बना डालो।

जीवन में यदि गुरु बनाना है तो चींटी को गुरु बनाना तुम ।
चींटी के संघर्षों को सीख सीख कर अपना मुकाम बनाना तुम ।।

संघर्ष यदि जीवन में न होते तो मनुज प्रगति न कर सकता था ।
विशाल समुद्र की लहरों से जहाज बीच भंवर में डूब सकता था ।।

ऐसा ही होता मनुष्य जीवन जो  पल-पल जीवन राह सिखाता है।
उत्साह वर्धन है जीवन में जिसके
 वह हार के बाद भी जीत जाता है
जय हिन्द जय भारत वंदेमातरम
चन्द्र शेखर शर्मा मार्कंडेय 
जनपद अमरोहा उत्तर प्रदेश 

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