थमकर आना

थमकर आना
तुम्हीं सब्जियों के, फूलों में डालो में। 
बलखाती  लहराती , सुंदर  बालों में।। 
हरियाली में खो जाती हो, छू-छूकर।
धनिया की पत्ती में, और मसालों में।।
जड़ से पत्ती तक, अर्पण कर देना है।
तुम सलाद बन,घुलती हो घरवालों में।।
पीली-पीली  चुनरी  ओढ़े, मेढ़ों पर।
अक्सर चर्चा  होती है ,दिलवालों में।।
कहीं बाजरे सी लंबी, सुंदर दिखती। 
रंग - बिरंगे   फूलों  ,वाले  दालों  में।।
लहलहा रही फसलों में भी,तुम ही हो।
तुम्हीं खुशी हो,तुम चिंता रखवालों में।।
अरे सुंदरी ! मौसम तुम थमकर आना। 
सचमुच बसती हो किसान के छालों।।......."अनंग "

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