साम्प्रदायिक सौहार्द

साम्प्रदायिक सौहार्द

अमर्यादित भाषा शैली ,
छिन्न-भिन्न सामाजिक स्तर ...
गरल पान प्रतिपल ,
साम्प्रदायिक उन्माद में तल्लीन.. 
मान-मर्यादा ,प्रतिष्ठा हनन 
अपशब्दों का तंत्र भरमार 
असमाजिक तत्वों को राजनैतिक प्रश्रय 
तंत्र लोक से अनियंत्रित 
मचा कोलाहल और कोहराम
हलाहल उगलते, सौहार्द मिटाते 
अचंभित विस्मित विदीर्ण हृदय
 ना लोकलाज ना सरोकार 
मानसिक रोग से ग्रसित 
उपद्रवियों का उपद्रव 
कुंठित हृदय की है पुकार 
सभ्यता ,संस्कृति लुप्तप्राय 
संभलो ,सोचो ,समझो 
अस्त व्यस्त श्रृंखलाओं के आवरण से बाहर निकल,
स्वयं ही खोज करो
क्योंकि, 
निर्माता भी तुम हो ।
और विध्वंसक भी तुम ।

@कमलेश निराला

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