वहशी की शिकार
कब तलक वहशी की शिकार बनेगी
कब तलक लुटता रहेगी हिन्द की बेटियाँ
कब तक चुप रहोगे ओ सत्ताधारी
कब तलक लिखा जायेगी ये कहानियाँ
जब हर नुक्कड़ पे खड़ा है दानव
कौन करेगा इस दानव का संहार
हर पल हो रही है नारी की चीर हरण
कौन सुनेगा अबला की करूण पुकार
वोट बैंक की हाे गई है देश की राजनीति
चुप हैं सारे देश की वो मौनी कर्णधार
रोते बिलखते हैं घर में परिजन सब
किसको सुनाये द्रुखियारी परिवार
जल रही वहशी की आग की ज्वाला
अट्टाहस कर रहा है बेशर्म वो डार
चीख गुंज लुप्त हो गये बियाबान में
शून्य में गुम हो गई करूण पुकार
क्या हो रहा है तेरे जगत में भगवन
और कितना करायेगा ये अत्याचार
नहीं भरा है तेरा निर्दयी दिल में
कब तक सहेगा हिन्द की परिवार
धिक्कार है उस बेशर्म राजनेता को
जो मौन है दानव का बन कर यार
तेरी बेटी के साथ गर होती हरकत
तो क्या सह पाता यह सब सहचार
बाहर आओ अपनी सोंच परिथि से
कर प्यारे कुछ तो कानूनी व्यवहार
अत्याचारी तो अत्याचारी होता है
वो नहीं है जग में किसी का यार
उदय किशोर साह
मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार
9546115088
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कविता