कृष्ण जन्मोत्सव
कृष्ण-कृष्ण जपते रहो,निशदिन शुबह-शाम।
दोष -दर्द तम- गम मिटे,बने बिगड़ता काम।।
अभय परम पुनीत अहा,कृष्ण सुपावन नाम।
तनुजा ,गंगा - सरस्वती , इसमें चारों धाम।।
पतितों को पावन करें ,हरे सकल दुख ताप।
कृष्ण नाम के जाप से,कट जाता सब पाप।।
प्रगटे कारागार में , सोये सब दरवान।
व्दार जेल का खुल गया,धन्य- धन्य भगवान।।
वासुदेव ले सूप में , चले अँधेरी रात।
बरस रहा जल मेघ से, रिमझिम हो बरसात।।
पैर छुवन यमुना चहै ,जल में बढ़त उफान।
पांव तुरत लटका दिये ,मन मोहन भगवान।
शान्त हुई पद चूम कर,खत्म हुआ जल ज्वार।
पहुंच गये वासुदेव जी , नन्दराय के व्दार।
चुपके से घर में घुसे ,बालक दियो सुलाय।
सुता उठा के गोद में ,लौट चले बिलखाय।
प्रगटे मथुरा जेल में , पहुँचे गोकुल जाय।
नन्द घरे आनंद भयो , बाजन लगे बधाय।।
नटखट कान्हा मातु के,सखियों के चितचोर।
मुरली ले कर में सदा,विचरत है चहुँ ओर।।
ग्वाल बाल के संग में ,जाकर यमुना तीर।
दधि माखन लूटत फिरे,हर गोपियों का चीर।।
कुब्जा काया कल्प कियो,प्रेम नेम समझाय।
सरस सुन्दरी बन गयी ,चंदन तुम्हे लगाय।।
सूर दास मीरा सभी , देते यह पैगाम।
रमा रहे जो नाम में , पाता सुख आराम।।
मोक्ष मुक्ति सुमंत्र यहीं ,शान्ति शुचि सुखधाम।
मुरली धर राधे कृष्ण,जपा करो नित नाम।।
राधा रानी संग में , सदा रचावत रास।
अनूठा अनुराग अटल ,लिये आश -विश्वास।।
ब्रह्म जीव लीला अहा ,समझ सके ना कोय।
राधा मोहन एक पर ,नजर पड़त हैं दोय।।
दुविधा जब मन से हटे,सब कुछ साफ लखात।
कैसे कोई कह सके,अनुभव की यह बात।।
भक्ति भाव सत्संग रमा, देत कृष्ण का नाम।
जन्म-सुफल जीवनबनें,सरस सुखद निष्काम।।
दुर्लभ तन नर का मिला,कृष्ण कृपा ही जान।
कृष्ण बसे काया सदा ,घट- घट में पहचान।।
पद में बाबूराम कवि , जोड़े दोनों हाथ।
कृपा कोर मुझपर करो , हे दीनों के नाथ।
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बाबूराम सिंह कवि
बडका खुटहाँ,विजयीपुर
गोपालगंज (बिहार)841508
मो॰ नं॰ - 9572105032
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कविता