भोजपुरी बोली
बोली से बवाल होल बोली से ठिठोली ,
बोलीये से पसीजेला दिल इन्सान के।
बोलीये से मार पीट हो जाला झगरा,
बोलीयेसे दरशन होजाला भगवान के।
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बोली में बहुत बड़हन ताकत होला ,निमन -बाउर के पहिचान
बोलीये करावेला। बोली में चारी गो दोष होखेला, झूठ बोलल, जरूरत से अधिका बोलल, केहु के निन्दा कईल आ अइसन बोलल कि केहु का दुख लागी जा। जाने -अनजाने इ चारी गो पाप बोली से हो जाला, जवना कि कारन बोली के रूप् कुरुप हो जाला आ जब बोली के रूप कुरूप हो जाला तब एकर असरो खतम हो जाला। एही से इ चारी गो दोष (पाप) से आपन बोली बंचा के राखे के चाही, तबे कुछउ में केहु आगे बढ़ी पावेला। त आइ सभे ए चारी गो पाप से बंचा के आ लूर सहूर से सम्हारी के बोली बोलल जा, आ भोजपुरी भाषा के अजोर सूरजकी कीरन जइसन चारू ओरी फइलावल जा। एही की साथे सब भोजपुरीया समाज केराम -राम आ परनाम बाटे।
आज -काल्ह लोग भोजपुरी बोले में कतराता ,सकुचाता आ लजाता कि भोजपुरी बोलला से हमार शान सौकत आ ओहदा कम हो जाई ,एतने ना अपनी बाल -बच्चा के भी भोजपुरी की जगही अंगरेजी सिखावता कि हमार लइका आगे जाके बड़हन साहब बनी ,त अइसन क के भोजपुरी के प्रतिस्ठा ना बढ़आवल जा सकेला।मानव के आगे बढ़ला के इतिहास में ,सिच्छा ,कर्मठता आ समाज सेवा में भोजपुरी के गौरवसाली इतिहास बा ।तिर के ताड़ आ राई के परबत बनावे में भी भोजपुरी के कुछ हद तक हाथ बा एके नकारल नइखे जा सकत।
एक समय के बात कि कवनो सरकारी विभाग में पचीस आदमी के भरती रहे ,लेकिन भरती होखे खातीर दुइ सौ आदमी आ गईल ।भरती करेवाला लोग एगो नियम लगा दिहल कि जे सबसे कम शब्द बोली के अन्दर आइ ओकर
भरती सबसे पहिले होई ।अब लोग जाये लागल केहु हिन्दी बोले केहु अंगरेजी बोले केहु संस्कृत बोले केहु उर्दु बोले लेकिन शब्द ढे़र हो गइला से केहुके अन्दर जायेके इजाजत ना मिले।
भोजपुरी वाला लोग जा आ कहे ढूकी आ ओकर भरती हो जा ।ओइमें पचीस आदमी के भरती खाली भोजपुरी बोलेवाला के भईल ।
कहला के मतलब बा कि भोजपुरी भाषा के महिमा बड़हन बा महान बा ।भोजपुरी के परचार -परसार करे खातीर हम सब केहु के भोजपुरी बोलल ,पढ़ल ,लिखल एकदम जरुरी बा आ भोजपुरी बोलला में ही आपन मान सम्मान आ बडप्पन समझल ,बुझल जाउ ,एही से भोजपुरी के कल्यान होई ।जय भोजपुरी ।
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बाबूराम सिंह कवि
ग्राम -खुटहाँ, पोस्ट -विजयीपुर
जिला -गोपालगंज (बिहार) पिन-८४१५०८
मो०-९५७२१०५०३२
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