भक्ति गीत : फागुन पुकार रहा हनुमान
“जय जय श्रीराम, जय महावीर हनुमान,
कृपा बनाए रखना अपनी, कृपा निधान!”
बड़े प्रेम से, फागुन बुला रहा है हनुमान,
बसंती मौसम भी पुकार रहा है हनुमान।
भगवान राम के संग आ जाओ धरा पर,
अपना सुंदर संसार, देख जाओ हनुमान।
बड़े प्रेम से……….
तुम भी प्रकृति से अगाध प्रेम करते हो,
स्वाभाविक रूप से वनांचल में रहते हो।
देख जाओ, बाग बगीचों की सुंदरता को,
पूरे कर दो, हंसते हुए फूलों के अरमान।
बड़े प्रेम से…………
पवन बसंती कब से, तेरी राह देख रही,
हर किसी से आज, तेरा पता पूछ रही।
कोयल भी भजन सुनाना चाहती तुमको,
घर घर पसरा है रामभक्ति का सामान।
बड़े प्रेम से…………
जन मानस पर छाई हुई है, रामभक्ति,
भक्ति में मिला देना, तुम सारी शक्ति।
तेरा कितना आदर करती है यह दुनिया?
शायद तुझे भी नहीं है, इसका अनुमान।
बड़े प्रेम से……….
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
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कविता