बहिन- बेटी
माने बहिना भाई का कहना तो सुन्दर है परिवार ।
भाई भी बहिना को माने तो खुशियाँ मिले अपार ।।
उचित और अनुचित का करना है विचार भाई ।
सूपनखा रावण की बहिना क्या करके थी आई ।।
बहिन सूपनखा संग उसने न किया ठीक व्यवहार ।
माने बहिना भाई का कहना तो सुन्दर है परिवार ।।
बहिन होलिका हिरणाकुश की थी वर चुनरी पाई ।
बुआ गोद में बबुआ लेकर थी अग्नि चिता आई ।।
भक्त राज प्रहलाद बच गये होलिका हो गयी छार ।
माने बहिना भाई का कहना तो सुन्दर है परिवार ।।
बहिन द्रोपदी भाई कृष्ण की वह बातें सब मानी ।
सर्व धर्म परित्याग शरण में जाना है वो यह जानी ।।
बने सारथी धर्मयुद्ध में पाण्डवन रक्षा कीन विचार ।
माने बहिना भाई का कहना तो सुन्दर है परिवार ।।
डा.राजेश तिवारी 'मक्खन'
झांसी उ प्र
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कविता