विश्वास की परख
आज के सन्दर्भ में,
क्या छिपा है, भविष्य के गर्भ में?
हर कोई, हर किसी पर, शक करता है!
कोई भी, जोखिम, उठाने से, डरता है!
किसी को, पैसों की, जरूरत है,
आमदनी कम हो, बड़ी मुसीबत है!
कोई यूं ही, किसी को, उधार, नहीं देता!
बदले में, ज़मानतदार की, गारंटी है लेता!
ज़माने से, लोगों का, उठ गया है भरोसा,
क्या कहें, जिसने, जन्म दिया, पाला _पोसा!
पिता पुत्र में तक, भरोसे की कमी है!
जब तक, धन है, बड़ी, गहमा गहमी है!
किस पर भरोसा करें, किस पर करें शक?
मुश्किल है करना, अब, विश्वास की परख!!
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पद्म मुख पंडा ग्राम महा पल्ली पोस्ट लोइंग जिला रायगढ़ छत्तीसगढ़ 496001
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कविता