रमेशराज की तेवरी

*तेवरी ---*
फूल-सा मुख को बनाना पड़ गया
जिस जगह पर चीखना था, मुस्कराना पड़ गया।

वो न कोई राम था, बदनाम था
पर हमें दिल चीरकर उसको दिखाना पड़ गया।

हम अहिंसा के पुजारी थे अतः
क़ातिलों के सामने सर को झुकाना पड़ गया।

हम गुलाबों के लिये तरसे बहुत
कैक्टस में किन्तु गन्धी मन रमाना पड़ गया।
*+रमेशराज*

Please Select Embedded Mode To Show The Comment System.*

Previous Post Next Post

Contact Form