जेखर हिरदे मा, होथे दरद

जेखर हिरदे मा, होथे दरद

जीत  इहाँ  उँखरे  होथे,

तपत घाम मा महिनत करके

भाग ला जे खुदेच पिरोथे।।

वो का जानय दुख पीरा ला

जे रंग महल मा सूते रथय,

मिले समय ला गँवा गँवा के 

दोष  जम्मो  ला  देते  रथय ।।

झेले रथे जे सबो के ताना

करम के बीजा ला उही हा बोंथे,

जेखर हिरदे मा, होथे दरद

जीत  इहाँ  उँखरे  होथे..........

- भास्कर वर्मा

चंदना, छत्तीसगढ़

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