क-कर्तव्य कर्म करूणा कौशलसुचि अपनाइये।
ख-खुदको मिटा खुदीमें खुशियोंमें ही खप जाइये
ग-गौ गंगा गायत्री गुरू गोविन्द गुण नित गाइये
घ-घट-घटके वासी अघनासी घर घाट परही जाइये
च-चित चारू चन्दन बने नहीं चोट माया खाइये।
छ- छल छुद्र से छकिये नही छमा छवि बिछाइये।
ज-जीवन ज्योति लौ जला जागरूक हो जाइये।
झ- झूठ झंझट झार झट झंकार सत्य गुंजाइये ।
ट- टलिये नही हरि टेर से रट के टेक बन जाइये।
ठ-ठग ठीक ठाकुर ठांवका नहीं ठगे से रह जाइये।
ड-डुब भक्तिमें डटे रहो डवांडोल ना हो जाइये।
ढ़ -ढ़कोसला ढ़ब ढो़ंग को ढा़ढ़स से दृढ़ दबाइये
त - तामस तमस से तन हटा तप त्याग में तपाइये।
थ-थाम्ह थाली नामकी थल थार बन थम्ह जाइये
द-दुख दर्द दारूण दबा दया दान से यश पाइये।
ध - धर्मात्मा बन ध्यान कर धन ध्येय धर्म लगाइये
न - नम्र नन्द नन्दन छवि नैनन में नेक बसाइये ।
प - प्रेमातुर रह परम प्रभु प्यार पल -पल पाइये।
फ-फूल फूले प्रेम का फल में नही फंस जाइये।
ब -बेशक बढो़ निजलक्ष्य पर वीर व्रती बनजाइये।
भ - भक्ति भजन भगवान में भरपुर आनंद पाइये।
म - मुस्कान मानवता महक जग मान से महकाइये
मानव धर्म का मूल यह इसको नही बिसराइये
अपनाइसे कवि बाबूराम सुख दीजिये सुख पाइये।
बाबूराम सिंह कवि
बड़का खुटहाँ , विजयीपुर
गोपालगंज ( बिहार )841508
मो0नं0- 9572105032
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कविता