अश्रु क्यों बन रहा पानी

नमस्कार मंच
 विषय :अश्रु क्यों बन रहा पानी 
विधा कविता
 शीर्षक :क्या पाओगे

 कूड़े के ढेर पर झूमर लगाकर क्या पाओग।
जमीर को तो मार डाला तुमने खुद गला घोट के अब माहौल- ए- शोक में शम्मा जला के क्या पाओगे।
 इक्कीस तोपों की सलामी गौरव है वीरों की शहादत पर, किसी भी उठाई गिरे को यह गौरव दिला कर क्या पाओगे। 
न्याय और अन्याय सब कैद पड़ा है हजारों फाइलों में ,व्यक्ति ही निकल पड़ा अंतिम यात्रा पर तो इस अंधे कानून से इंसाफ मांग के क्या पाओगे।
लूट गई अस्मत किसी बेटी की और उसकी पीढ़ियों कि भी,अब लूटी हुई अस्मत का जुलूस निकालकर क्या पाओगे।
 वह मर भी जाती है फिर भी वह घाव नहीं मरते ,सोशल मीडिया के किसी न किसी पेज पर जिंदा रहते हैं ।
एक ही मुर्दे को बार-बार जलाकर क्या पाओगे।
 करोड़ों की दौलत बीस नौकर -चाकर चार कुत्ते पल जाते हैं, इस ऐशो आराम में बुजुर्गों की जरूरत अब कहां जवान बेटों को, तो गला घोट के मार ही डालोे ना। औलाद होते हुए उन्हें वृद्ध आश्रम छोड़ आए, इस बुढ़ापे में उन्हें अनाथ बनाकर क्या पाओगे।
 कहते हैं बहुएं संस्कारी नहीं है, नए युग की है, इसे खाना बनाना नहीं आता, इसे लोगों का सत्कार करना नहीं आता।
 वह समय भूल जाते हो शादी के बाद, जब बोले थे एक पैसा नहीं चाहिए दहेज का और दिन करीब आते ही हाथों में लिस्ट थमा दी थी मजबूर बाप के, जिसे पूरा करने के लिए उस पिता ने अपना मकान गिरवी रखा होगा मां ने अपने जेवर गिरवी रखे होंगे और मां-बाप को टूटता देख कर भी जो कुछ बोल ना पाई उस बेटी ने अपने संस्कार गिरवी रख दिए होंगे। दहेज की सूली चढ़े रिश्ते के लिबाज़ में सजी उस दुल्हन से और क्या संस्कार पाओगे।
 पढ़ना चाहता था जो, इस देश का ध्रुव तारा बनकर चमकना चाहता था पैसों के अभाव में किसी का नौकर किसी का ड्राइवर कहीं चपरासी चौकीदार बन कर रह गया बहुत ज्यादा टूट गया तो नक्सलवादी या आतंकवादी बन कर रह गया ।गरीबों के बच्चों को बी0आर0 अंबेडकर या एडिशन थामस नहीं बनाया तो बंदूक पकड़ा आतंकी बनाकर क्या पाओगे ।

कूड़े के ढेर पर झूमर लगाकर क्या पाओगे।

सोनिया प्रतिभा तानी

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