मीत मेरे बहु निराली,
तडपूं मै तेरी प्रीत में,
बनके राधा रानी तेरी ।
कांपे है पग मेरे,
तेरे सामने आने,
वसुधा मै तेरी,
तेरी प्रीत मे भीगी जायें ।
बिछायी है हरियाली,
वसुंधरा ने तेरी,
देख हम दोनों की प्रीत,
सुमन भी लज्जायें ।
मेरे मीत की प्रीत निराली,
मन के भाव को जगाये,
रोम रोम खिल उठे़,
मन के तरंग झूमकर नाचे ।
डॉ।। वसुधा पु कामत , बैलहोंगल
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कविता