हाड़ा, मांँस के चक्कर मा
बलि चढ़ाथय ललचाहा मन,
देवी देवता मा कलंक लगाके
कूदत रहिथे हदराहा मन।।
हिंदू बनके काय करबे?
मुस्लिम बनके काय करबे?
बनना हे त इंसान बन
जीव जंतु के परान बन
धरम के नाम मा कलंक लगाके
तैं झन इहाँ शैतान बन.....
कवि - भास्कर वर्मा
मगरलोड का डाकिया
8815636058
बलि चढ़ाथय ललचाहा मन,
देवी देवता मा कलंक लगाके
कूदत रहिथे हदराहा मन।।
हिंदू बनके काय करबे?
मुस्लिम बनके काय करबे?
बनना हे त इंसान बन
जीव जंतु के परान बन
धरम के नाम मा कलंक लगाके
तैं झन इहाँ शैतान बन.....
कवि - भास्कर वर्मा
मगरलोड का डाकिया
8815636058
Tags:
कविता