हर तरफ इश्क का मंजर बहुत है
सबके दिल में समन्दर बहुत है,
छोटे छोटे उम्र में आजकल
बुराइयों का बवंडर बहुत है,
तन पर जान गंवाने वालों
प्रेम और मोह में अन्तर बहुत है।।
कवि - भास्कर
सबके दिल में समन्दर बहुत है,
छोटे छोटे उम्र में आजकल
बुराइयों का बवंडर बहुत है,
तन पर जान गंवाने वालों
प्रेम और मोह में अन्तर बहुत है।।
कवि - भास्कर
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कविता