वो यादें....
वो यादे बार बार मूझको, बहोत सताती है
मुझे बिछड़े बच्पनकी बहुत याद आती है
वो यादें....
खुशियों मिलती थी, हर छोटी छोटी बातों से
याद ताज़ा होते ही, अश्रुधार शुरू हो जाती है
वो यादें....
मासूमियत के दिन, मुमकिन नहीं है अब
फिर भी, वो सपनोकी बात, मुझे सताती है
वो यादें....
सखाके साथके, खेलोंको कैसे भुले भला
वो छोटी लड़ाईभी, युद्धों भास लगती है
वो यादें....
शालाके दीनकी गुल्लेबाजी मारके भागना
छुट्टियों की शरारतें, कैसे पीछे छूट जाती है
वो यादें....
दाटमे छुपा वो पापाका गस्सेवाला प्यार
मा के आंचलमे, छुपते ही मा मुश्कुराती है
वो यादें....
दादा - दादीकी कहानी, फिर भी मनमानी
पापाके फरमानोकी, सूची सब कहजाती है
वो यादें....
जब जब सुलातीथी मां, मुझे सिने लगाके,
लोहरी की मीठी,आवाजकी गूंज सुनाती है
वो यादें....
आजभी जीवनकी ये हकीकत कहानी लगती है
"कलम"को बचपन की,याद अाजभी रुलाती है
वो यादें....
वो मोहनसी मुष्कान, भूलने के काबिल नहीं है
वो खुमारी आंखोकी, काबिले तारीफ लगती है।
सुथार सुनील एच. “कलम”
एम.पी.सी.सी. भाडोत्रा, कम्प्यूटर शिक्षक
गाव- रानोल , ता. दांतीवादा,बनासकांठा
Suthar Sunil 01@gmail.com
वो यादे बार बार मूझको, बहोत सताती है
मुझे बिछड़े बच्पनकी बहुत याद आती है
वो यादें....
खुशियों मिलती थी, हर छोटी छोटी बातों से
याद ताज़ा होते ही, अश्रुधार शुरू हो जाती है
वो यादें....
मासूमियत के दिन, मुमकिन नहीं है अब
फिर भी, वो सपनोकी बात, मुझे सताती है
वो यादें....
सखाके साथके, खेलोंको कैसे भुले भला
वो छोटी लड़ाईभी, युद्धों भास लगती है
वो यादें....
शालाके दीनकी गुल्लेबाजी मारके भागना
छुट्टियों की शरारतें, कैसे पीछे छूट जाती है
वो यादें....
दाटमे छुपा वो पापाका गस्सेवाला प्यार
मा के आंचलमे, छुपते ही मा मुश्कुराती है
वो यादें....
दादा - दादीकी कहानी, फिर भी मनमानी
पापाके फरमानोकी, सूची सब कहजाती है
वो यादें....
जब जब सुलातीथी मां, मुझे सिने लगाके,
लोहरी की मीठी,आवाजकी गूंज सुनाती है
वो यादें....
आजभी जीवनकी ये हकीकत कहानी लगती है
"कलम"को बचपन की,याद अाजभी रुलाती है
वो यादें....
वो मोहनसी मुष्कान, भूलने के काबिल नहीं है
वो खुमारी आंखोकी, काबिले तारीफ लगती है।
सुथार सुनील एच. “कलम”
एम.पी.सी.सी. भाडोत्रा, कम्प्यूटर शिक्षक
गाव- रानोल , ता. दांतीवादा,बनासकांठा
Suthar Sunil 01@gmail.com
Tags:
कविता