दया-धर्म करुणामय पावन अधरों पर मुस्कान चाहिए।
अनमोल मानव जीवनमें स्वच्छता अभियान चाहिए।
परमार्थ परहित पुरुषार्थ क्षमाशीलता दान चाहिए।
स्वच्छतासे नेक कमाई भोजन वस्त्र मकान चाहिए।
देश धर्म सत्कर्म सुपावन प्रगति पथ कल्यान चाहिए।
नेकी भलाई पुण्य में भी स्वच्छता अभियान चाहिए।
आत्म संयम संतोष सत्यनिष्ठा सुचि सत्संग वितान चाहिए।
प्रेम श्रध्दा विश्वास आषपूर्ण स्वच्छता अभियान चाहिए।
जीवन नाम सदा चलनेकाआलोक अभय रुझान चाहिए।
देश सुरक्षा में भी सर्वदा स्वच्छता अभियान चाहिए।
प्रकृति आत्मा परमात्मा ज्ञान भी लेना जान चाहिए।
स्वच्छता बिन जाने कोई कैसे नित नूतन उत्थान चाहिए।
राष्टृहित में मर मिटने को स्वच्छ लगन ईमान चाहिए।
मातपिता गुरुजन सेवामें स्वच्छता अभियान चाहिए।
भारत की आत्मा है हिन्दी ,हिन्दी हर जुबान चाहिए।
स्वच्छता हेतु"बाबूराम कवि"मानव धर्म महान चाहिए।
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बाबूराम सिंह कवि
बड़का खुटहाँ , विजयीपुर
गोपालगंज(बिहार)841508
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कविता