मुक्तक-अंतर्मन

मुक्तक-अंतर्मन

अंतर्मन से सोच रहा हूँ! 
अच्छा सपना देख रहा हूँ! 
लोग देखते अपना अपना! 
यही दृश्य मैं देख रहा हूँ!! 

भाव कहीं उठता अंतर्मन! 
करूँ प्रकाश देश हित तन मन! 
कैसे हो यह सपना सच्चा! 
लोग नही आते साथी बन!! 

अमरनाथ सोनी अमर 

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