Homeमुक्तक मुक्तक-अंतर्मन byआवाज़-ए-हिन्द -April 10, 2021 मुक्तक-अंतर्मन! अंतर्मन से सोच रहा हूँ! अच्छा सपना देख रहा हूँ! लोग देखते अपना अपना! यही दृश्य मैं देख रहा हूँ!! भाव कहीं उठता अंतर्मन! करूँ प्रकाश देश हित तन मन! कैसे हो यह सपना सच्चा! लोग नही आते साथी बन!! अमरनाथ सोनी अमर Tags: मुक्तक Facebook Twitter