मोहब्बत के लिए...

मोहब्बत के लिए...
गीत कविता लेख आदि
मोहब्बत पर लिखता रहा। 
और लोगों की हंसी का
पात्र मैं बनता रहा। 
क्योंकि वो लोग हमें 
पागल जो समझते थे? 
इसलिए मेरी लेखनी 
पर वो हमेशा हँसते थे। 
पर जब मेरे मोहब्बत के
एक छोटे से पैग़ाम ने। 
लोगों को मोहब्बत करना
और निभाना सिखा दिया। 
लोगों में मोहब्बत का नशा  
उस पैगाम ने भर दिया। 
और हँसने वालो के मुँह पर
एकदम ताला लगा दिया।।

अब तो मुँह छुपाते फिरते हैं
और रातके अंधेरे में निकाले हैं। 
क्योंकि मोहब्बत से जो
उन्होंने दुश्मनी कर ली हैं। 
तभी तो मोहब्बत के लिए
यहाँ वहाँ रातको भटकते हैं।
पर कम्बख्त मोहब्बत भी
अब उन्हें पसंद नहीं करती। 
इसलिए तो कुँवारेपन के 
55 वर्ष पूरे कर गये हैं।
पर दिल आज भी उनका
बचपन के जैसा तड़प रहा है।। 

हम तो मोहब्बत पर
लिखते है और गाते है। 
तभी तो मोहब्बत को 
दिल से निभाते है। 
और अपनी कलम के 
द्वारा जिंदा रखते है। 
तभी तो मोहब्बत के गीत कविता लेख लिख पाते हैं।
और इंसानी मोहब्बत का 
धर्म अपना निभाते है।
और लोगों के दिलों में
मोहब्बत के बीज बोते हैं। 
*जिससे स्नेह प्यार और अपनापन अंकुरित हो सके।।*

जय जिनेंद्र देव
संजय जैन मुंबई
09/04/2021

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