तुम्हीं ने जहाँ को सँवारा कसम से।
ज़रा माँ करो बस इशारा कसम से।
कदम लड़खड़ाए कभी जो गिरूँ मैं
मुहब्बत तुम्हारा सहारा कसम से ।
बसाया तुम्हें बीच दिल में भवानी
नहीं दूर जाना गँवारा कसम से ।
घिरी नाव मेरी कभी जो भँवर में
तुम्हीं ने लगाया किनारा कसम से ।
तुम्हारी दया पर टिका विश्व सारा,
तुम्हीं ने मुसीबत को टारा कसम से।
तुम्ही से रहा है हरा बाग मन का,
नहीं दिल तुम्हें ये बिसारा कसम से।
हमेशा तुम्हें हीं पुकारा किया है,
कहाँ बिन तुम्हारे गुज़ारा कसम से।
प्रमिला श्री'तिवारी'
धनबाद झारखण्ड
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गीत