सताया है बहुत हमको

मुक्तक

सताया है बहुत हमको ,
खता गर जब हुई हमसे ।
डराया है बहुत खुद को ,
लता शरमागई भ्रम से ।।
होश मधहोश गति श्रम की,
प्रवासी जीव परिभाषित ।
बेबफा हो नमन फिर भी ,
बफा के कायदे नम से ।।
डॉ अनुज कुमार चौहान "अनुज"
अलीगढ़, उत्तर प्रदेश।

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