बेटियां कोई बोझ नहीं उनको तुम खूब पढ़ने दो ।
सपनों के लगाकर पंख उनको आसमान में उड़ने दो ।
मत तोड़ो सपने उनके प्रगति पथ पर उनको बढ़ने दो ।
कल्पना चावला सुनीता विलियम्स उनको अब बनने दो ।।
रात्री के घोर अन्धकार में प्रकाश के पुष्प अब खिलने दो ।
कल कल बहती नदियों को सदानीरा अब बनने दो ।।
मत तोड़ो सपने उनके सपनों के फूल अब तो खिलने दो ।
बेटियां कोई बोझ नहीं पढ़-लिख कर उनको अब बढ़ने दो ।।
बेटे बेटी में फर्क नहीं दोनों ही एक कोख से जन्मे है ।
मत तोड़ो सपने उनके सपनों में सुनहरे पंख लगने दो ।।
जीवन का सुन्दर फूल हैं ये हंसी खुशी संग खिलने दो ।
सीता सावित्री और अनुसूया रानी लक्ष्मीबाई बनने दो ।।
मत तोड़ो सपने उनके बेटियों को शिक्षित अब बनने दो ।
आसमान में उड़कर फिर जीवन रहस्य अब समझने दो ।।
बेटी है कोई बोझ नहीं प्रगति पथ पर आगे उनको बढ़ने दो ।
मत तोड़ो सपने उनके सपनों में सुन्दर पंख अब लगने दो ।।
माता पिता की आस बनकर पिया का घर भी उनको सजाने दो ।
एक नहीं दो कुलों का सुन्दर साज बेटियों संग अब तो सजने दो ।।
मत तोड़ो सपने उनके बेटियों को अब जीवन पथ पर चलने दो ।
जीवन के सफर में हौसलों की उड़ान बेटियों को अब भरने दो ।।
जय हिन्द जय भारत वंदेमातरम
चन्द्र शेखर शर्मा मार्कंडेय जनपद अमरोहा उत्तर प्रदेश
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कविता