जय श्री राम
बड़े भाग अयोध्या नगरी ,
जहां राम लिए अवतार है ।
रूप रंग है सावरा उसका ,
रघुकुल जिसका वास है।।
माता पिता आज्ञा पाकर ,
वन को तुम है निकल पड़े।
शोक पड़ी अयोध्या नगरी,
आशु झर झर बह रहे।।
बाल अवस्था में तूने,
धनुष बड़े को तोड़ दिखाया है।
बड़े बड़े राजा को तूने
सीता स्वयंवर में हराया है।।
कंद मूल और फल से
प्रभु में अपना जीवन बिताया है।
मां सीता के संग रहकर,
आदर्श जीवन अपनाया है।।
रखे पांव पत्थर पर तूने ,
अहिल्या का उद्धार हुआ।
देख रही रास्ता सबरी ,
उसका सपना साकार हुआ।।
भरा घमंड था जिस रावण पर,
चकना चूर कराया है ।
दानव दल का वध करके,
विजय को तूने पाया है।।
रचनाकार_ योगिता साहू
ग्राम _चोरभट्ठी,पोस्ट_ बागोद,
जिला _धमतरी ,छत्तीसगढ़
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कविता