“प्रभु श्रीगणेश की कृपा है, दिन बुधवार है,
देव गजानन को प्रणाम और नमस्कार है।“
माता तेरी है, जगत की जननी पार्वती,
गजानन, है पिता तिहारो त्रिभुवन नाथ।
नानी तुम्हारी लगती महारानी मैनाइन,
नानाश्री तेरे लगते हिमालय पर्वत राज।
माता तेरी है…………..
प्रथम पूज्य देव हो तुम, तीनों लोक में,
गजानन महाराज, है त्रिभुवन तेरे साथ।
तुम मंगल मूरत, तुम्हारी भोली सूरत,
भक्तों पर करते हो, कृपा की बरसात।
माता तेरी है……….
है तेरे जैसा सृष्टि में, कोई देव न दूजा,
सर्वत्र सर्व प्रथम, होती है तेरी ही पूजा।
इस दुनिया में, जीवन उसका सफल है,
माथे जिसके आ जाए, प्रभुजी तेरे हाथ।
माता तेरी है……………..
भगवान कार्तिकेय है तेरा, प्यारा भ्राता,
सारे जग से तुम दोनों, निभाते नाता।
मेरे हाथ से तुम भोग लगा लो मोदक,
सुन लो प्रभु, भक्त कृष्णदेव की बात!
माता तेरी है………….
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
Tags:
भक्ति गीत