एसो के छेरचेरा ह
जुच्छा होगे गा।
माई कोठी के धान हा भईया
बोदरा परगे गा।।
एसो के छेरचेरा ह जुच्छा होगे गा....
चउमास के महीना म
पानी हा बरसगे ।
गिरल पानी मे माढ़ के
सफ्फो सोनहा धान हा सरगे।
ए पारी किसान ला भईया
रोना होगे गा
एसो के छेरचेरा ह जुच्छा होगे गा.....
भरे दुआरी सोनहा धान ले
ओ हर खलियागे।
धान बेचई के दिन म
सबो बोरा हा सिरागे ।।
भरे लबालब धान कोठी में
कोठी खाली परगे गा ।
एसो के छेरचेरा ह जुच्छा होगे गा.....
रचनाकार _योगिता साहू
ग्राम चोरभट्ठी, पोस्ट बगौद,
जिला_ धमतरी,छत्तीसगढ़
Tags:
कविता