मैं तुम्हें जगाने आया हूँ
उठो वीर जवानों जागो अंगार सुनाने आया हूं।
भारत मां के लाल जगो मैं तुम्हे जगाने आया हूं।
स्वाभिमान भर मुस्काओ संस्कृति सम्मान करो।
मातृभूमि वंदन निशदिन मां भारती गुणगान करो।
शौर्य पराक्रम ओज भरा रणवीरों की ललकारो में।
बलशाली हो महारथी खूब जोश भरा तलवारों में।
मात पिता गुरु सेवा का धरा संस्कारों की माता है।
माटी का कण कण चंदन सबकी भाग्यविधाता है।
ओज भरी हुंकार लिए फनकार सुनाने आया हूं।
वीरो रणधीरों में साहस जोश जगाने लाया हूं।
देशभक्ति राष्ट्रदीप अब जलती हुई मशाल बनो।
अटल हिमालय सा सजग सागर सा विशाल बनो।
देशप्रेम की बहाकर गंगा फर्ज निभाने आया हूं।
लेखनी दीपक लेकर अंधकार मिटाने लाया हूं।
राष्ट्रधारा बस देशहित में नित गीत तराने गाता हूं।
वंदे मातरम वंदे मातरम भारत माँ शीश नवाता हूं।
रमाकांत सोनी नवलगढ़
जिला झुंझुनू राजस्थान
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कविता