चंद अल्फाज इश्क के
यह जो दूरियां हैं , तुम्हारे और मेरे घर की ,
वो चंद कदमों की है, पर मिलना दूर है।
एहसास तुम्हारा बहुत पास, बात करना मुश्किल है,
टपकती बूंदे बारिश की आंगन में तेरे ,कुछ मेरे यहां गिरी हैं।
तुम्हे देखने की अभिलाषा में , जाने कितनी रातें जागी हैं।
अभिलाषा तुम्हे पाने की , जल्दी पूरी करनी है।
अनुराग उपाध्याय
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कविता