लोहड़ी
लोहड़ी आई लोहड़ी आईं
सभी के जीवन मे खुशियाँ लाई
सब को लोहड़ी की हो बधाई
सर्दी का प्रकोप कम हुआ भाई
अच्छी धूप की आस बंधाई
लोहड़ी का है पावन त्यौहार
हर्ष और मस्ती का है यह त्यौहार
इस अवसर पर हम सब नाचते
ढोल की थाप पर झूम हम जाते
गिद्दा पाते , भंगड़ा डालते
डंडा रास रचाते ,बोलियां पाते
उत्तर भारत का प्रमुख हैं त्यौहार
मकर संक्रांति से एक दिन पहले आता यह त्यौहार
सांस्कृतिक महत्व का है यह त्यौहार
लोगों मे जोश का करता संचार
दुल्ला भट्टी की याद मे मनाया जाता है त्यौहार
दुल्ला भट्टी पंजाब का था वीर सरदार
गरीबों का था यार और तारणहार
सदा सुनता था गरीबों की फरियाद
आज भी लोग करते हैं उसे याद
एक ब्राह्मण की बेटियों को मुगलों से मुक्त करवाया
बड़ी धूमधाम से बेटियों का विवाह रचवाया
लोगों ने इस विवाह का आनंद उठाया
इसे उत्सव की तरह मनाया
लोहड़ी के दिन हम लोकगीत गाते
परिवार के साथ मिल कर लोहड़ी जलाते
मूंगफली रेवडी चिड़वा गज़क की आहुति पाते
समस्त विश्व के मंगल कल्याण की कामना करते
युवा छज्जा और ढोल लेकर आते
टोलियों बनाकर मनोरंजन और मस्ती का माहौल बनाते
नई शादी बाले लड़के के घर और जिस घर मे लड़का हुआ हो के घर जाते
ढ़ोल की थाप पर नाचते और बधाई मांगते
लोहड़ी का पावन त्यौहार
सभी को खुशियां दे बारम्बार
जीवन मे सदा चले प्यार की व्यार
सुखी रहें हम सब , सब के जीवन मे लाए बहार
यही है मेरी प्रभु से सच्ची पुकार
अशोक शर्मा वशिष्ठ
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कविता