बेटी है अनमोल
बेटी लक्ष्मी है दुर्गा है।
बेटी! शक्ति स्वरूपा हैं।।
ईश्वर का वरदान है बेटी,
घर आंगन की शान है बेटी।
माता पिता की जान है बेटी।।
घर का शौभाग्य जगाती हैं बेटी,
दो- दो कुलो को चलाती है बेटी।
घर की बगिया महकाती है बेटी।।
बेटी तो अनमोल खजाना है,
कई रिस्तो को इसे निभाना है।
कभी मां कभी बहन बन जाना है।।
घर की रौनक बढ़ाती है बेटी,
घर खुशियों से सजाती है बेटी।
पिता का सम्मान बढ़ाती है बेटी।।
हर घर की तो ज्योति है बेटी,
किस्मत वाले को होती है बेटी।
सच में अनमोल मोती है बेटी।।
श्वेता कुमारी चौबे ✍️शिक्षिका एवं कवियित्री बेतिया पश्चिम चम्पारण बिहार
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कविता