दिलों को सताना यहाँ कौन माने!
हमें है यक़ीं बात बन कर रहे गी,
बदलता जमाना चला आज़माने!
कहो रात भर बात होती रहे गी,
तुझे तो ज़िगर से हमें हैं लगाने!
शरम बेंचने में शराफत कहाँ है,
लजाते नहीं जो चले अब लजाने!
तराने नहीं मौशिक़ी भी नहीं तो,
बताना जरा कौन से गीत गाने!
घरौंदा बनें रेत से आसमां पर,
वही जानता है घरौंदा बनाने!
हमारे वतन से उलझते रहे जो,
तमाचा पड़ा तो लगे गिड़गिड़ाने!
"अदी"मान लो राज़ खुल के रहेंगे,
पिलायें ज़हर जब, दवा के बहाने!
अदीक्षा देवांगन" अदी"
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